तुम्हारे स्पर्श में एक सुकून है, जैसे बरसों से भटकती रूह को अपना ठिकाना मिल गया हो।
तुम चलती हो तो लगता है बहारें खुद चल पड़ी हैं ज़मीन पर,
हर लम्हा तुम्हारे साथ जादू बन जाता है —
एक ऐसा जादू जिसमें दिल डूबता है, और फिर उभरना भी नहीं चाहता।
तुम्हारे बिना ये ज़िंदगी अधूरी सी लगती है,
जैसे कविता बिना शब्दों के, और संगीत बिना सुरों के।
तुम हो तो सब कुछ है —
तुम्हारी एक झलक, मेरे सारे दिन को रोशन कर देती है।
तुम मोहब्बत नहीं, खुद मोहब्बत की परिभाषा हो।