Vidhawa Bahan ki chudai: हेल्लो दोस्तों, मैं रूही सिंह, आप सबका दिल से स्वागत करती हूँ। मैं सालों से रसीली चुदाई कहानियों की दीवानी हूँ। हर रात मैं ऐसी गर्मागर्म कहानियाँ पढ़ती हूँ कि मेरी चूत गीली हो जाती है। आज मैं अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो इतनी मस्त है कि तुम्हारा लंड खड़ा हो जाएगा और चूत गीली हो जाएगी। उम्मीद है ये कहानी तुम्हें रात भर चैन न लेने देगी।
मैं कोलकाता की हूँ, 26 साल की जवान, गोरी, मस्त माल। मेरे पति टैक्सी ड्राइवर थे, पांच साल पहले हार्ट अटैक से मर गए। वो मुझे रात-दिन चोदते थे, उनकी चुदाई से मेरी चूत की आग बुझती थी। उनके जाने के बाद मैं विधवा हो गई। माता-पिता पहले ही गुजर चुके थे, इस दुनिया में मेरा बस एक भाई सुधीर था। मैं उसके पास आ गई। सुधीर कुंवारा था, 28 साल का, मस्त जवान, लंबा-चौड़ा, और एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर। महीने का एक लाख कमाता था। कोई लड़की उसे पसंद नहीं आई, इसलिए शादी नहीं की थी।
“रूही, तू फिक्र न कर, ये घर तेरा ही है,” सुधीर ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा। उसकी गर्म साँसें मेरे गालों को छू रही थीं।
मुझे उसकी बात सुनकर सुकून मिला। वरना ज्यादातर भाई अपनी गर्लफ्रेंड की चूत के पीछे पड़े रहते हैं। सुधीर ऐसा नहीं था। मैं उसके साथ रहने लगी। एक रात, करीब दो बजे, मैं बाथरूम जाने उठी। देखा, सुधीर नंगा खड़ा है, उसका 7 इंच का मोटा लंड पकड़कर तेजी से मुठ मार रहा था। उसका लौड़ा इतना मस्त था कि मेरी चूत में खुजली होने लगी। वो मुठ मारकर कमरे में चला गया। मुझे लगा, इसे तो एक टाइट चूत चाहिए, और वो मेरे पास थी। मेरे पति ने मुझे तीन साल तक चोदा था, लेकिन अब मेरी चूत प्यासी थी। मैं अभी जवान थी, मेरे 36 इंच के मम्मे, गोरी जाँघें, और मलाई जैसी चूत किसी को भी पागल कर सकती थी।
मैं सुधीर के कमरे में चली गई। जाड़े की रात थी, ठंड से बदन काँप रहा था। मैं अपने भाई को अपनी चूत देना चाहती थी। उसका लंड मेरी बुर में लेने की तड़प मुझे बेचैन कर रही थी। मैं उसके बेड पर चढ़ी, रजाई में घुसी, और उसके बगल में लेट गई। वो गहरी नींद में था। मैंने धीरे-धीरे रजाई के अंदर अपना स्वेटर, लोअर, ब्रा, और पैंटी उतार दी। अब मैं पूरी नंगी थी, मेरे मम्मे ठंड में और टाइट हो गए थे। मैं सुधीर से चिपक गई, मेरा नंगा बदन उसकी गर्मी से सट गया। उसका लंड मेरी जाँघों को छू रहा था, और मेरी चूत गीली होने लगी।
धीरे-धीरे सुधीर भी गर्म होने लगा। वो नींद में था, लेकिन उसका लंड टनटना रहा था। मैंने अपना बायाँ 36 इंच का मम्मा उसके मुँह में डाल दिया और उसका हाथ अपनी दायीं चूची पर रख दिया। “उम्म… स्स्स…” उसने नींद में मेरी चूची चूसनी शुरू की। उसका हाथ मेरी दूसरी चूची को मसलने लगा। मेरी चूत में आग लग रही थी। अचानक उसकी आँखें खुलीं। मुझे नंगा देखकर वो घबरा गया, “ये… ये क्या कर रही है, रूही?”
“शांत हो जा, सुधीर… तूने मुझे घर दिया, क्या मैं तुझे अपनी चूत नहीं दे सकती? ये राज़ हमारे बीच रहेगा,” मैंने उसकी आँखों में देखकर फुसफुसाया।
वो थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन मेरी गोरी चूचियाँ और चिकनी चूत देखकर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। “तू… तू सच में चाहती है ये?” उसने काँपती आवाज़ में पूछा।
“हाँ, भाई… मेरी चूत तेरे लंड की प्यासी है,” मैंने बेशर्मी से कहा।
वो मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरे दूध चूसने लगा। “आआआह्ह… ईईई… ओह्ह… अई… मम्मी…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। सुधीर की जीभ मेरे निप्पल्स को चाट रही थी, उसके दाँत मेरी चूचियों को हल्के-हल्के काट रहे थे। “भाई, और चूस… मेरे मम्मों को काट डाल,” मैंने उसका सिर अपनी चूचियों पर दबाया। वो पागलों की तरह मेरे दूध पीने लगा, जैसे भूखा शेर किसी हिरन पर टूट पड़ता है। मेरी चूत गीली होकर टपक रही थी। “स्स्स… हाँ… ऐसे ही… मेरी चूची खा जा,” मैं चिल्लाई।
उसने मेरे बाएँ मम्मे को 20 मिनट तक चूसा, फिर दाएँ दूध को “चूं… चूं…” की आवाज़ के साथ चूसने लगा। मेरी चूत में आग लग रही थी। “भाई, मेरी बुर चाट… मुझे चोद डाल,” मैंने तड़पकर कहा। सुधीर ने रजाई हटा दी, मेरे मखमली पेट को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरी नाभि में घूम रही थी, मेरे बदन में करंट दौड़ रहा था। “आआह्ह… स्स्स… और चाट… मेरी नाभि को चोद दे,” मैंने सिसकारी ली। वो मेरे पैरों की उँगलियाँ चूसने लगा, एक-एक उँगली को मुँह में लेकर चाट रहा था। मेरी चूत से रस टपक रहा था।
मैं बहुत गोरी थी, मेरे मम्मे, जाँघें, और चूत मलाई की तरह चिकनी थीं। सुधीर मेरे हुस्न का दीवाना हो गया था। उसकी आँखों में मेरी चूत फाड़ने की भूख साफ़ दिख रही थी। “रूही, तू तो किसी रंडी से कम नहीं… तेरी चूत तो लंड माँग रही है,” उसने गंदी बात की।
“हाँ, भाई… मेरी चूत तेरे लंड की गुलाम है… फाड़ दे इसे,” मैंने बेशर्मी से जवाब दिया।
सुधीर मेरे पैर, टखने, और घुटनों को चूसने लगा। फिर मेरी गोरी जाँघों पर दाँत गड़ाने लगा, निशान छोड़ रहा था। “आआह्ह… भाई, मेरी जाँघें काट… मुझे और गर्म कर,” मैं चिल्लाई। उसने मेरे पैर फैलाए, मेरी क्लीन शेव्ड चूत साफ़ दिख रही थी। वो मेरी चूत पर टूट पड़ा, उसकी जीभ मेरे चूत के दाने को चूस रही थी। “स्स्स… हाँ… मेरी बुर चाट… इसे रगड़ दे,” मैंने उसके सिर को अपनी चूत पर दबाया। मेरी चूत बिल्कुल सनी लियोन की तरह लाल और रसीली थी। सुधीर की जीभ मेरी चूत के हर कोने को चाट रही थी। “…मम्मी… मम्मी… सी सी सी… हा हा हा… ऊऊऊ… ऊँ… ऊँ… उनहूँ उनहूँ…” मैं कसमसाती रही। मेरी टाँगें पूरी खुली थीं, सुधीर को मेरी बुर पीने में कोई दिक्कत नहीं थी।
“रूही, तेरी चूत तो शहद जैसी है… इसे चाटकर मेरा लंड फटने को है,” उसने कहा।
“तो चाट ना, भाई… मेरी चूत को खा जा,” मैंने चिल्लाकर कहा।
उसने अपनी दो मोटी उँगलियाँ मेरी चूत में पेल दीं और तेज़ी से फेटने लगा। “…मम्मी… मम्मी… सी सी सी… हा हा हा… ऊऊऊ… ऊँ… ऊँ… उनहूँ उनहूँ…” मैं चीख रही थी। मैंने उसके घुंघराले बालों को कसकर खींच लिया। “भाई, मेरी चूत फाड़ दे… और ज़ोर से पेल,” मैं चिल्लाई। उसकी उँगलियाँ मेरे भोसड़े में अंदर-बाहर हो रही थीं, ऐसा लग रहा था जैसे चार लौड़े मेरी चूत को रगड़ रहे हों। मैं उसके बालों को जंगली बिल्ली की तरह नोच रही थी। “…उई… उई… उई… माँ… माँ… ओह्ह माँ… अहह्ह्ह…” मैं पागल हो रही थी। सुधीर मेरे चूत के दाने को दाँतों से काट रहा था, मुझे चरम सुख मिल रहा था।
फिर वो मेरी चूत को उँगलियों से चोदते हुए चाटने लगा। मैं अपनी गांड और कमर उठा-उठाकर तड़प रही थी। “भाई, और चाट… मेरी बुर को सूखा दे,” मैं चीखी। आधे घंटे तक उसने मेरी चूत को चाटा, मेरा रस पीया। फिर उसने अपना स्वेटर और लोअर उतारा, उसका 7 इंच का मोटा लंड मेरी चूत पर रखा। “पुच्छ” की आवाज़ के साथ उसने धक्का मारा। “आआह्ह… भाई, तेरा लौड़ा कितना मोटा है… मेरी चूत फट जाएगी,” मैं चिल्लाई। वो मेरे ऊपर लेट गया, मैं उसके चेहरे, गाल, माथे को चूमने लगी। “चोद मुझे, भाई… मेरी बुर को रगड़ दे,” मैंने कहा।
वो गचा-गच मुझे चोदने लगा। “…ही ही ही… अहह्ह्ह… उहह्ह… उ उ उ…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। सर्दी में भी हमारे बदन पसीने से तर थे। “रूही, तेरी चूत तो टाइट है… मेरा लंड इसे फाड़ देगा,” उसने गंदी बात की। “हाँ, भाई… फाड़ दे… मेरी चूत तेरे लंड की रंडी है,” मैंने जवाब दिया। उसकी कमर मशीन की तरह मेरी चूत में लंड पेल रही थी। मेरी कमर अपने आप नाचने लगी। “उ उ उ… ऊऊऊ… ऊँ… ऊँ… अहह्ह्ह… सी सी सी… हा हा हा… ओ हो हो…” मैं चुदवाते हुए चीख रही थी। आधे घंटे तक वो मेरी चूत को रगड़ता रहा। “आ आह आह…” वो हाँफने लगा। मैंने उसे कसकर बाहों में जकड़ लिया। “भाई, मेरी चूत में झड़ जा… अपना माल मेरे अंदर डाल,” मैंने चिल्लाया। तेज़ धक्कों के साथ वो मेरी चूत में झड़ गया। उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। हम दोनों हसबैंड-वाइफ की तरह चिपककर प्यार करने लगे।
“रूही, ये चुदाई का राज़ हमारे बीच रहेगा,” सुधीर ने कहा।
“हाँ, भाई… ये हमारा गंदा राज़ है,” मैंने हँसकर कहा।
हम बाहों में बाहें डाले सो गए। पहली चुदाई के बाद सुधीर मुझसे खुल गया। मैं भी उससे बेशर्म हो गई थी। हम रोज़ रात चुदाई करते। पड़ोसी हमें भाई-बहन समझते थे, लेकिन हम बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड की तरह ठुकाई करते थे। एक दिन धूप बहुत मस्त थी। हमारे बेडरूम में सूरज की किरणें आ रही थीं। मेरा मन सुधीर का लंड चूसने का कर रहा था।
“सुधीर, तेरा मोटा लौड़ा चूसने का मन है,” मैंने बेशर्मी से कहा।
वो हँस पड़ा, “चल, रंडी… चूस मेरे लंड को।”
हम गुनगुनी धूप में बेडरूम की खिड़की के पास लेट गए। कपड़े उतार दिए। मैं पूरी नंगी थी, मेरे 36 इंच के मम्मे दशहरी आम की तरह लटक रहे थे। सुधीर मेरे दूध मसलने लगा। मैंने उसका मोटा लौड़ा पकड़ा और फेटने लगी। “स्स्स… भाई, तेरा लंड तो रॉकेट है,” मैंने कहा। उसका लंड खड़ा हो गया। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। “…उंह उंह उंह… हूँ… हूँ… हममम अहह्ह्ह…” सुधीर सिसकारियाँ ले रहा था। मैं एक हाथ से उसका लौड़ा फेट रही थी, दूसरे से चूस रही थी। “रूही, तू तो रंडी की तरह चूस रही है,” उसने कहा। “हाँ, भाई… तेरा लंड मेरी चूत का मालिक है,” मैंने जवाब दिया। 40 मिनट तक मैं उसका लौड़ा चूसती रही, वो मेरे मम्मों को मसलता रहा।
मुझे चुदवाने की तड़प हो रही थी। “सुधीर, रोज़ तू मुझे लेटकर चोदता है, आज कुतिया बनाकर पेल,” मैंने कहा।
“जैसी तेरी मर्ज़ी, रंडी,” उसने हँसकर कहा।
उसने मुझे कुतिया बनाया। मैं घुटनों और हाथों पर थी, मेरे चूतड़ हवा में थे। सुधीर मेरी चूत चाटने लगा, उसकी जीभ मेरे चूतड़ों को चूम रही थी। “आआह्ह… भाई, मेरे पुट्ठे चाट… मेरी गांड चूस,” मैं चिल्लाई। मेरे चूतड़ लाल खरबूजे की तरह थे। उसने मेरे चूतड़ों को चूमा, फिर चूत चाटने लगा। उसने अपना 7 इंच का लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया और कुत्ते की तरह चोदने लगा। “पच… पच… पच…” की